Tere ishq Me - 1 - SJT in Hindi Love Stories by Poetry Of SJT books and stories PDF | तेरे इश्क़ में - 1 - SJT

Featured Books
Categories
Share

तेरे इश्क़ में - 1 - SJT

ज्योती अपने क्लास की टॉपर थी…
उसे प्यार , इश्क़ , मोहब्बत जैसे शब्दों से भी नफ़रत थी ।
जब भी वो अपनी क्लास की लड़की को किसी लड़के से बात करते देखती तो चिढ़ जाती थी ।

हमेशा दूसरों को सलाह देती रहती की प्यार – व्यार ये सब बकवास है , ये सब वो करते हैं जिनकी कोई मंज़िल नहीं होती ।

इस बात को लेकर आए दिन किसी ना किसी दोस्त से लड़ाई कर लेती , पर दिल की बहुत अच्छी थी , बाद में माफ़ी भी ख़ुद मांग लेती ।

कॉलेज में कुछ दिनों की छुट्टियां थी , तो सब मिलकर बाहर छुट्टियां मनाने की प्लानिंग कर रहे थे , तभी ज्योती ने आने से मना कर दिया , पर दोस्तों के जबरजस्ती करने पर वो मान गई ।

सभी ने अपनी अपनी तैयारी की और निकल पड़ी छुट्टियां मनाने, कॉलेज के और भी बच्चे लोग गए थे , सबका अपना अपना ग्रुप था ।

कुछ लोगों की पहले से दोस्ती थी आपस में , और कुछ नए दोस्त वहां बन गए थे ।

* पिकनिक का पहला दिन * –

सब एक साथ आपस में हंसी मज़ाक कर रहे थे , कुछ तो अपनी प्रेम कथा को आंगे बढ़ाने के प्रयास में जुटे थे ,
और कुछ के तो प्रयास सफल भी हो रहे थे ।
सबने खूब मस्ती की , पर उन सबके बीच ज्योती अलग ही सोच में डूबी थी , अपने दोस्तों को बार बार समझाती अरे! तुम लोग समझ क्यों नहीं रही इतनी आज़ादी ठीक नहीं । पहला दिन कुछ ख़ास नहीं था ।

* दूसरा दिन *

आज सुबह से ही मौसम सुहाना लग रहा था । ठंडी ठंडी
मीठी मीठी हवा चल रही थी , पंछियों के चह – चहाने की आवाज़ आ रही थी । सब कुछ फिल्मों वाली कहानियों जैसे लग रहा था।
आज ज्योती सुबह से ही थोड़ा उदास थी , अकेले बैठे सबको खुश देखकर अपनी उदासी भुलाने की कोशिश कर रही थी ।

उन सब के बीच भी एक ऐसा था जो भरी महफ़िल में ख़ुद को तन्हा महसूस करता था ।
हमेशा मायूसी की बदली अपने चेहरे पर ओढ़े रहता , हसने की तो बात छोड़ो मुस्कुराता भी नहीं था ।

सूरज आसमान में छिप चुका था , चांद सितारों की महफ़िल सजी हुई थी , इंतजार था तो बस चांदनी के दीदार का , मेरा मतलब अपनी ज्योती का ।

ज्योती खाना पीना खाने के बाद थोड़ा आराम करने लगी ,
और उसकी आंख लग गई ।
इसी लिए आने में थोड़ा देरी हो गई , जैसे ही ज्योती को सब ने देखा , सबने एक साथ गाना सुरु कर दिया “आइए आपका इंतजार था ” ज्योती थोड़ा शरमाते हुए दौड़ती हुई आके सबके साथ बैठ गई ।

ज्योती थोड़ा ख़ुशी महसूस कर रही थी , बीच बीच में वो भी मजे ले लेती मजाक उड़ा के।
पर एक चेहरा ज्योती के सामने था , जो काफ़ी देर से खामोश बैठा था ।
रात काफ़ी हो चुकी थी सब लोग अपने अपने कमरों में सोने चले गए ।

* तीसरा दिन *

सूरज आज किरणों को जल्दी साथ लेकर चला आया था ,
सुबह से ही गर्मी का मौसम था , आज तो कोई बाहर निकल भी नहीं रहा था ।
पर जब सूरज संध्या की जुल्फ़ों के घनेरे में खो गया ,
तो थोड़ा सुकून भरी सांस लिया सभी ने ।
आज ज्योती अलग ही दिख रही थी , जैसे पूर्णिमा का चांद चमकता हो ।

खेल जमा हुआ था , सब मस्त थे एक अलग ही खुमार सा छाया हुआ था , बोतल ज्योती पर रुक गई , सबकी अलग अलग फरमाइश थी , कोई कुछ करने को बोल तो कोई कुछ , ज्योती ने सब को चुप करते हुई बोली , एक बोलो जो भी करना है , ज्योती के ग्रुप में सब जानते थे ,
कि इसे लड़कों से बड़ी चिढ़ है , ग्रुप में से एक लड़की बोली , अच्छा सुनो! तुम्हें कृष्णा के गले लगना पड़ेगा ।
ज्योती ने टेढ़ी आंखे करते हुए पूछी अब ये कृष्णा कौन है ?
अरे ! कृष्णा को नहीं जानती तुम…
अपने कॉलेज में नया है , कॉलेज का कन्हैया है , सब लड़की उसकी तरफ़ देखकर होश खो बैठती हैं ।
पर वो है की किसी की तरफ़ देखता ही नहीं ।
अरे! बस कर ये सब मुझे क्यों बता रही हो , ज्योती ने गुस्से में कहा । नहीं खेलना मुझे ये खेल ।

ज्योती खेल को बीच में ही छोड़कर चली आई , और वहां से जाकर थोड़ी दूर अकेले बैठ गई ,
जब भी कोई लड़कों की तारीफ़ करता ज्योती चिढ़ सी जाती थी ।
ज्योती कुछ देर के बाद कमरे में चली गई , बाकी सब भी समय के बाद पहुंच गए ।

अरे तुम्हारे वहां से चले आने के बाद पता है क्या हुआ ?
ज्योती की दोस्त ने कहा , मुझे कैसे पता होगा मैं तो वहां थी नहीं , ज्योती ने चिढ़ चिढ़ाते हुए कहा , तुम्हें वो कृष्णा पूछ रहा था । ज्योती की दोस्त ने हंसते हुए कहा , ज्योती का स्वर और ऊपर हो गया , उसने चिल्लाते हुए कहा , अगर तुम सब मजाक कर रही हो तो , ऐसा मजाक मुझे बिल्कुल पसंद नहीं तुम सब जानती हो ।
अरे हां भाई हमें पता है इसी लिए तो सच बोल रहे हैं ।
ज्योती फिर बोली , क्या कहा उसने ?
सबने हंसते हुए कहा ख़ुद ही पूछ लेना कल अब रात ज्यादा हो चुकी है सो जाओ , और फिर सब सो गए ।

* चौथा दिन *

ज्योती के अंदर रात वाले गुस्से की धधकती आग ज्वालामुखी बन चुकी थी ।
ज्योती को अचानक याद आया कि वो तो कृष्णा को देखी ही नहीं , सिर्फ़ उसके बारे में सुनी थी ।
कुछ भी हो ज्योती के दिमाग में कृष्णा घुस चुका था , भ नफ़रत ही सही । लड़के की तो एंट्री हो चुकी थी ,

” इत्तफाकन रास्ते में दिल से दिल टकरा गए ”

मेरा मतलब कृष्णा सामने से गुजर रहा था , ग्रुप की एक दोस्त ने इशारा करते हुए बताया ये वही है ।
इससे पहले की ज्योती कुछ बोल पाती वो आगे निकल गया ।
ज्योती ने पीछे से आवाज़ दी , पर कुछ जवाब नहीं आया ।
जवाब देता भी कहां से , जब उसने सुना ही नहीं कुछ ,
कानो में एयरफोन लगा के फिल्मी दुनिया में खोए था ।
इतने में ज्योती ने पीछे से कंधे को छूते हुए कहा, ऊंचा सुनते हो क्या । पलट कर कृष्णा ने देखा और कान से एयरफोन हटाते हुए बोला जी कहिए ।
एक सेकेंड के लिए तो ज्योती खो गई , कृष्णा ने फिर कहा आप कुछ बोलना चाहती थी ना ?
ज्योती ने गुस्सा करते हुए बोली , कल तुम मेरे दोस्तों से क्या बोल रहे थे ।
मुझे बाकी लड़कियों की तरह ना समझ लेना , मैं सब जानती हूं तुम जैसे लड़के कैसे होते हैं , ज्योती के मुंह में जो जो आता गया सब बोल दी ।

और भी कुछ बचा हो तो उसे भी कह डालिए , कृष्णा ने कहा ।
मेरा वो मतलब नहीं था पूछने का , आप अचानक खेल बीच में छोड़कर चली गई थी , मुझे लगा मेरी वजह से है शायद… इस लिए पूछ रहा था । मैं नहीं चाहता मेरी वजह से किसी के चेहरे की मुस्कान छिने , इतना कह कर कृष्णा वहां से चला गया ।

आगे की कहानी – भाग – 2 में !!

लेखक - Jeetesh Tiwari SJT
Mo - 91 8655307271